पेड़ों से पत्तियां नहीं उदासी झर रही है
रिक्त हथेलियों में उतर आया है सूना आसमान
रास्तों की वीरानी टपकती रहती है कोरों से
कि आहटें सिर्फ उदासी की खबर बन आती हैं
'अपना ख्याल रखना' के भीतर
कुंडली मारे बैठी है बेचैनी
अप्रैल का सीना अपनों के दुःख से छलनी है...
रिक्त हथेलियों में उतर आया है सूना आसमान
रास्तों की वीरानी टपकती रहती है कोरों से
कि आहटें सिर्फ उदासी की खबर बन आती हैं
'अपना ख्याल रखना' के भीतर
कुंडली मारे बैठी है बेचैनी
अप्रैल का सीना अपनों के दुःख से छलनी है...
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteवाह।
ReplyDelete