Friday, April 23, 2021

अप्रैल का सीना छलनी है




पेड़ों से पत्तियां नहीं उदासी झर रही है
रिक्त हथेलियों में उतर आया है सूना आसमान
रास्तों की वीरानी टपकती रहती है कोरों से
कि आहटें सिर्फ उदासी की खबर बन आती हैं
'अपना ख्याल रखना' के भीतर
कुंडली मारे बैठी है बेचैनी
अप्रैल का सीना अपनों के दुःख से छलनी है...

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