-वीरेन्द्र यादव
रूस की लगभग अलक्षित और लंबे समय तक गुमनाम रही लेकिन अत्यंत महत्वपूर्ण कवयित्री मारीना त्स्वेतायेवा की युवा लेखिका प्रतिभा कटियार द्वारा लिखित जीवनी 'मारीना' को पढ़ते हुए यह तथ्य बार बार उद्वेलित करता है कि चमकदार दिखते और लुभाते इतिहास के पीछे कितने अदीठ अंधेरे छिपे होते हैं.मुझे लगता है कि 'मारीना' की इस जीवनी का टेक्स्ट जितना महत्वपूर्ण है उससे कम महत्वपूर्ण नहीं है इसका सबटेक्स्ट. मारीना रिल्के और बारिस पास्तरनाक की प्रेमिका थी तो गोर्की की प्रशंसिका. पुश्किन की कविता उसकी प्रेरणा थी तो मैन्डेलस्ताम और अख्मातोवा उसके प्रिय समकालीन . सोवियत क्रांति की उथलपुथल ने उसे जिस त्रासद नियति का शिकार बनाया उसे आज भी पढ़ना अवसादकारी है. वह अपने वतन रुस से क्रांति पूर्व और पश्चात की परिस्थितियों के चलते उस दौर के अन्य रुसी बौद्धिकों की तरह देशबदर होने के लिए अभिशप्त थी. कविता व साहित्य उसकी प्राणवायु थी और प्यार उसकी सांस. प्यार में वह समझ, सहजता और स्वच्छंदता की कायल थी.वह रुसी क्रांति की गायक नहीं थी और क्रांति से उपजी अराजकता के प्रति अपनी कविताओं में आलोचनात्मक थी, लेकिन रुस से उसे अगाध प्रेम था. विडम्बना यह थी कि 'उस दौर में रुस से प्रेम के सीधे अर्थ नहीं थे. कोई इसे बोल्शेविक नजरिये से देख रहा था तो कोई राजशाही के समर्थन के नजरिये से'. मारीना न बोलशेविक समर्थक थीं और न राजशाही की. फिर भी उसे अपने देश से आत्मीयता के बजाय दुराव व हताशा ही मिली. वह गोर्की की प्रशंसक थी उन्हें काबिल, विनम्र और इंसानियत का पैरोकार मानती थी लेकिन गोर्की की दृष्टि में वह संदेहास्पद और गैर भरोसेमंद थी. पास्तरनाक से वह प्रेम में थी, लेकिन वे भी उसके मददगार नहीं सिद्ध हुए. उसके जीवन में एक दौर ऐसा भी था कि वह एक जोड़ी कपड़े और जूते की मोहताज थी.
एक बेटी की देखभाल करती मारीना दूसरी बेटी की अंत्येष्टि में शामिल होने से वंचित रही. स्टालिन की गुप्तचर एजेंसी ने उसके पति, बेटी और बेटे को अलग अलग समय पर गिरफ्तार किया. अंततः मारीना को अपने देश की नागरिकता तो मिली लेकिन उसके जीवन का त्रासद अंत उसकी आत्महत्या में हुआ. उसकी आत्महत्या के सूत्र मायकोवस्की और एसेनिन के आत्मघात से भी कहीं न कहीं जुड़ते हैं. मारीना को दफ्न किए जाने की जगह का पता तो नहीं चल सका लेकिन प्रतिभा कटियार ने उसे अपनी इस किताब द्वारा हिंदी पाठकों के समक्ष जीवित कर दिया है.मारीना की यह जीवनी जिस समर्पित भाव और बिना किसी निर्णायक मुद्रा के प्रतिभा ने लिखी है उसके लिए वह बधाई की पात्र हैं. इस जीवनी का महत्व यह भी है कि यह राजनीति और साहित्य के कई अनुत्तरित प्रश्नों को एक बार फिर शिद्दत के साथ प्रस्तुत करती है. इसका पढ़ना कई तरह से अवसादग्रस्त और बेचैन करने वाला है. हमारे शहर की लेखिका प्रतिभा कटियार का इसका निमित्त बनना सुखद है. एक बार फिर प्रतिभा कटियार को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ.
संवाद प्रकाशन , मेरठ से प्रकाशित इस पुस्तक का मूल्य 300 रु. है.
बहुत सुन्दर
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