खोया हुआ एक झुमका मिला
जो जोड़े से बिछड़ कर उदास था कबसे
पीले दुपट्टे पर टंके सुनहरे घुँघरू मिले
जो तुमने तोड़ दिए थे यह कहकर
कि तुम्हारी आवाज ही है घुंघरुओं सी
दुपटट्टे में घुंघरू बेवजह ही तो हैं
बांस की वो पत्ती मिली
जो तुमने टांक दी थी जूड़े में
और मन बांसवारी हो उठा था
रूमाल में बंधा वो मौसम मिला
जिसमें भीगकर सूखते हुए हमने
देर तक देखा था बादलों का खेल
उदास रातों की नमी मिली
जिन्दगी में तुम्हारी कमी मिली
घर की सफाई में कुछ सामान मिला
बाद मुद्दत जो आज इतवार मिला.
सुन्दर
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना मंगलवार 19 मार्च 2019 के लिए साझा की गयी है
ReplyDeleteपांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।