वो जब अपने पास लौटना चाहती हैं
तो लौटती हैं रसोई में
बटोरना चाहती हैं सबकी मुस्कुराहटें
तो इंटरनेट पर खोजती हैं नयी-नयी रेसिपी
भीतर के बिखराव सिमटते नहीं
तो समेटने लगती हैं बिखरा घर
पड़ोसन से बन सकें अच्छे रिश्ते
शामिल होती है मोहल्ले की चर्चाओं में
घरवालों को फ़ालतू सा लगता है उनका पढ़ना- लिखना
इसलिए किताबों को स्टोर में रख
किताबों वाली जगह पर सजाती हैं शो पीस
कोई कुहासा झांकता है पलकों से जब भी बाहर
उसे दिखाती हैं गुलदान में सजाये ताजा फूल
मन की चिड़िया उड़ने को होती है बेताब
तो देखती हैं चिड़ियों से भरा आसमान
उनसे सब खुश रहते हैं तब
जब वह खुद से खुश नहीं रहतीं,
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सुन्दर
ReplyDeleteआपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन एक प्रत्याशी, एक सीट, एक बुलेटिन में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...
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