Tuesday, May 17, 2016

जो वैष्‍णव नहीं होंगे शिकार हो जाएंगे ...

-अंशु मालवीय

वैष्णव जन
आखेट पर निकले हैं!
उनके एक हाथ में मोबाइल है
दूसरे में देशी कट्टा
तीसरे में बम
और चौथे में है दुश्‍मनों की लिस्‍ट.

वैष्‍णव जन
आखेट पर निकले हैं!
वे अरण्‍य में अनुशासन लाएंगे
एक वर्दी में मार्च करते
एक किस्म के पेड़ रहेंगे यहां.

वैष्‍णव जन
आखेट पर निकले हैं!
वैष्‍णव जन सांप के गद्दे पर लेटे हैं
लक्ष्‍मी पैर दबा रही हैं उनका
मौक़े पर आंख मूंद लेते हैं ब्रह्मा
कमल पर जो बैठे हैं.

वैष्‍णव जन
आखेट पर निकले हैं!
जो वैष्‍णव नहीं होंगे
शिकार हो जाएंगे ...
देखो क्षीरसागर की तलहटी में
नसरी की लाश सड़ रही है.

1 comment:

  1. सुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार!

    मेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका स्वागत है...

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