'ठीक' कहने से पहले जांच लेना खुद को ठीक से
कि कहीं 'अ ठीक' साथ चिपक न जाये
कहे गए 'ठीक' की पीठ पर
'ठीक' को सिर्फ शब्द भर बना रहने देना
उसे अपनी मुस्कुराहटों से सजाना, संवरना
और जो इस ठीक से बचा हुआ सच है न
उदास, तन्हा, बोझिल, जख्मी
उसे मेरी हथेलियों पे रख देना।
और मीठी जुबां से
ReplyDelete'ठीक हूँ '
कहना ही पड़ता है
अगर जरा भी जुबां फिसल गई
और कह दिया
'नहीं बीमार हूँ'
तो समझो कि अब मैं बेकार हूँ!
http://kavitarawatbpl.blogspot.in/2010/07/blog-post_27.html
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 17-12-2015 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2193 में दिया जाएगा
ReplyDeleteआभार
सुन्दर प्रस्तुति
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