उसे जाने दिया क्योंकि यकीन था कि
वो जायेगा नहीं
या यूँ कहें कि
जा पायेगा ही नहीं
इस जाने देने में अहंकार था
जिसे प्रेम का नाम दिया
उसके पीठ फेरते ही मुस्कुराकर
धुएं के कुछ छल्ले
आसमान की ओर उछाले
ठंडी हवाओं को
अपने फेफड़ों में भरा
शांत होकर ढलते सूरज
और उगते चाँद पर नज़र टिकाई
कान लगातार
दरवाजे पर ही लगे थे
वो तलाश रहे थे आहटें
उसके लौट आने की
हालाँकि ये बात सिर्फ दिल को पता थी
बीते दिनों के बिना पढ़े गए अख़बारों को खंगाला
न्यूज़ चैनलों को बदलते हुए
झूठी ख़बरों में से सच को तलाशने की
नाकाम सी कोशिश की
एक कप और काली गाढ़ी कॉफी पीने की इच्छा को
रसोई में जगह दी
और के एल सहगल की आवाज से
कॉफी के स्वाद में और इज़ाफ़ा किया
लेकिन जो आहटें टटोलने को कान दरवाजे पर टंगे थे
वो नदारद ही थीं
अब उन आहटों की तलाश में
आँखें भी निकल पड़ीं
कदम भी, दिमाग भी
वो जा तो नहीं सकता छोड़कर
वो मेरा प्यार है. मेरा प्यार
मेरा गाढ़ा प्यार
साऊथ अफ्रीका के जंगलो से घना
सहारा के रेगिस्तान से ज्यादा विस्तृत
हिन्द महासागर की गहराइयों से गहरा
मेरा प्यार
इससे दूर कोई जा भी कैसे पायेगा
ये प्रेम का अहंकार था
दरवाजे पर उसके आने की आहटें बीनते कानों की मायूसी
एक युद्ध हारने सा था
उसके न होने पर बहे आंसू
दुःख के नहीं
शिकस्त के आंसू थे
एक रोज लहू लुहान क़दमों से वो लौटा
थका, बोझिल, उदास
उसके लौटने की आहटों से अहंकार का बाग़ खिल उठा
कि देखो मैंने कहा था न,
उसे लौटना ही था
उसे लौट ही आना था आखिर .…
इन सबसे दूर भीगी हुई सिसकियों के बीच
दिल से बस इतनी सी आवाज आई
धन्यवाद किस्मत
तुम्हें मालूम है
प्रेम की अहमियत
उसका लौटना दरअसल सिर्फ उसका प्रेम था.....
शिकस्त के आंसू थे
एक रोज लहू लुहान क़दमों से वो लौटा
थका, बोझिल, उदास
उसके लौटने की आहटों से अहंकार का बाग़ खिल उठा
कि देखो मैंने कहा था न,
उसे लौटना ही था
उसे लौट ही आना था आखिर .…
इन सबसे दूर भीगी हुई सिसकियों के बीच
दिल से बस इतनी सी आवाज आई
धन्यवाद किस्मत
तुम्हें मालूम है
प्रेम की अहमियत
उसका लौटना दरअसल सिर्फ उसका प्रेम था.....
बहुत सुंदर!
ReplyDeleteपहली बार अहंकार अच्छा लगा
ReplyDeleteसच्चा प्रेम कुछ ऐसा ही होता है
दिल को छू गई !
bahut hi sundar kavita
ReplyDeletebahut hi sundar kavita
ReplyDeleteसच्चा प्रेम ऐसे ही इंतजार करता है
ReplyDeleteउसके लौटने की आहटों से अहंकार का बाग़ खिल उठा
ReplyDeleteकि देखो मैंने कहा था न,
उसे लौटना ही था
उसे लौट ही आना था आखिर .…
इन सबसे दूर भीगी हुई सिसकियों के बीच
दिल से बस इतनी सी आवाज आई
धन्यवाद किस्मत
तुम्हें मालूम है
बहोत सुंदर।
सुंदर रचना
ReplyDeleteलाजवाब और भावपूर्ण रचना...बहुत बहुत बधाई...
ReplyDeleteनयी पोस्ट@आप की जब थी जरुरत आपने धोखा दिया
शुक्रिया आप सभी का…
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