Friday, November 8, 2013

दिल के धड़कने की वजह कोई नहीं...



वैसे ही उगता है दिन
हथेलियों के ठीक बीचोबीच
और उसी तरह ढलक जाता है
उंगलियों की पोरों से

ज्वर के ताप को कम करने को
शरद की चांदनी रात भर
माथे पर रखती है पट्टियां

लाल चोच वाली चिड़िया
हर डाल पर ढूंढती फिरती है
वजह दिल के धड़कने की...

कि उससे कहा था किसी ने
दिल के धड़कने की वजह कोई नहीं...

6 comments:

  1. बहुत खूब ... दिलके धड़कने की वजह की तलाश लिए भटकती रचना ... लजवाब ...

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  2. बहुत सुंदर ...कोमल एहसास

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  3. सच में दिल के धड़कने की कोई वजह भी नहीं है

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  4. वाह बिना वजह के धडके हुए दिल से निकली खूबसूरत पंक्तियां

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