मायूस तो हूं वायदे से तेरे
कुछ आस नहीं कुछ आस भी है,
मैं अपने ख्यालों के सदके
मैं अपने ख्यालों के सदके
तू पास नहीं और पास भी है.
दिल ने तो खुशी माँगी थी मगर,
दिल ने तो खुशी माँगी थी मगर,
जो तूने दिया अच्छा ही दिया.
जिस गम को तअल्लुक हो तुझसे,
जिस गम को तअल्लुक हो तुझसे,
वह रास नहीं और रास भी है.
पलकों पे लरजते अश्कों में,
पलकों पे लरजते अश्कों में,
तसवीर झलकती है तेरी.
दीदार की प्यासी आँखों को,
दीदार की प्यासी आँखों को,
अब प्यास नहीं और प्यास भी है.
- साहिर लुधियानवी
बहुत सुंदर
ReplyDeleteसाहिर लुधियानवी को पढना वैसे भी सुखद अहसास है।
बहुत सुंदर ...
ReplyDeleteअब प्यास नहीं और प्यास भी है.....सत्य कहा ...
ReplyDeleteसुन्दर रचना ...