लंबे अरसे बाद नीरज जी को फोन किया. गोपालदास नीरज जी. उनसे जब भी मिली हूं मन को अच्छा सा अहसास हुआ है. इधर मैंने उन्हें लंबे अरसे बाद फोन किया. नाम सुनते ही शिकायती लहजा उभरा, मैं लखनऊ आया था तुम मिलीं क्यों नहीं. मेरे पास कोई जवाब नहीं था. एक मौन था. क्या व्यस्तता का रोना रोती, क्या जवाब देती. खैर, एक बुजुर्ग की तरह डांटने के बाद आशीर्वाद की झड़ी लगाते हुए जब उन्होंने कहा, सुखी रहो तो मन सुखी हो गया. दो लाइनें उन्होंने चलते-चलते सुनाईं जो उनके आशीर्वाद की तरह साथ हो लीं-
जिंदगी मैंने बिताई नहीं सभी की तरह
हर एक पल को जिया पूरी एक सदी की तरह...
हर एक पल को जिया पूरी एक सदी की तरह...
नीरज जी के गीतों में पूरे सदी का जीना छिपा है।
ReplyDeleteनीरज हमारे समय की धरोहर हैं…
ReplyDeleteसचमुच।
ReplyDeleteसचमुच।
ReplyDeleteजिंदगी मैंने बिताई नहीं सभी की तरह
ReplyDeleteहर एक पल को जिया पूरी एक सदी की तरह...!
वाह !!!
aap bahut bhagyashali hain ki aapko unki daant sunne ko mil jaati hai... :)
ReplyDelete"जिंदगी मैंने बिताई नहीं सभी की तरह
ReplyDeleteहर एक पल को जिया पूरी एक सदी की तरह...!"... नीरज जी को बस कई बार सुना... हर बार नई बात लगी... उनके हर छंद जीवन की बात करते हैं..
बुजुर्ग दांते नहीं...आशीर्वाद देते हैं...उनकी दांत में ही आशीर्वाद छुपा रहता है...अच्छा लगा उनके बारे में पढ़ कर...वो शतायु हों ये ही कामना है...
ReplyDeleteनीरज
नीरज जी से डांट मिली
ReplyDeleteढेरों आशीष मिला ...
आप भाग्य शाली हैं .
उनकी पंक्तियाँ पढवाने के लिए
आभार स्वीकारें .
बुजुर्गों की डाँट में भी आशीर्वाद ही होता है।
ReplyDelete