Thursday, March 11, 2010

पलाश ही पलाश


क्या ढूंढ रही हो वहां?
लड़के ने लड़की से पूछा.
फूल...पलाश के फूल
लड़की ने सर झुकाये-झुकाये ही जवाब दिया.
लड़का हंसा. पागल हो पलाश के फूल पलाश के पेड़ पर मिलेंगे कि यहां मिट्टी में. आजकल तो पलाश ही पलाश खिले हैं...जितने चाहे ले लो. मैं ले आऊं...? लड़का नरमाई से पूछता है.
रहने दो. जिस पलाश की मुझे तलाश है वो पेड़ों पर उगा नहीं मिलेगा तुम्हें.
लड़की ने मिट्टी में कुछ खोजते हुए ही जवाब दिया.
पेड़ पर नहीं मिलेगा तो क्या आलू हो गये हैं पलाश जो मिट्टी में खोज रही हो. लड़का अपनी हंसी भरसक रोकने की कोशिश करता है लेकिन रोक नहीं पाता. लड़की उसे खामोशी से देखती है. कहती कुछ नहीं.
फिर उसकी उंगलियां मिट्टी में कुछ तलाशने लगती हैं. लड़की इस कदर निर्विकार है कि लड़का शांत हो जाता है.
मैं मदद करूं? लड़का प्यार से पूछता है.
नहीं...पलाश क्या आलू है? लड़की मुस्कुरा कर सवाल के रूप में जवाब देती है. इत्ती देर बाद आई लड़की के होठों की मुस्कान लड़के को राहत देती है.
अगर तुम कह रही हो तो आलू ही होगा शायद. उसने धीरे से कहा.
मैंने नहीं कहा...आलू.
फिर...?
तुमने कहा. लड़की हंस दी.
ओफ्फो. लड़का हैरान.
पलाश आलू नहीं है...पलाश तलाश है. अपने प्यार की तलाश. जब-जब पेड़ों पर पलाश खिलते हैं, दिलों में प्र्रेम की तलाश खिल उठती है. प्रेम से जुड़े सारे दुख, फूल बन जाते हैं. सारी यादें खुशबू. पलाश का होना प्यार का होना है...लड़की ये कहते-कहते अपने भीतर की यात्राएं भी तय कर रही थी. लड़का अनमना सा समझने की कोशिश कर रहा था.
लेकिन तुम यहां क्या ढूंढ रही हो...पेड़ के नीचे...मिट्टी में? लड़के का सवाल अब भी वहीं था.
यहां मैंने अपने प्रेम की इकलौती मुलाकात की यादों को छुपाया था. पलाश के इस पेड़ के नीचे. कहा था उनसे, ना दिक् मुझे बार-बार कि मैं खुद आऊंगी तुम्हारे पास जब खिलेंगे ढेर पलाश.
और देखो, जैसे-जैसे मैं ये मिट्टी हटा रही हूं वैसे-वैसे पलाश की गमक बढ़ रही है. देखना एक दिन ये धरती पलाश से भर जायेगी...धरती पर पलाश ही न$जर आयेंगे बस...हर फूल में महकेगी मोहब्बत. हर दिल में बसेगी मोहब्बत. देखना तुम. लड़की का चेहरा पलाश की तरह खिल उठा था.
लड़के को पलाश के फूलों से मोहब्बत झरते हुए महसूस हो रही थी.
सचमुच...

15 comments:

  1. वाह , बहुत खूब रचा है आपने पलाश को ।

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  2. . देखना एक दिन ये धरती पलाश से भर जायेगी...धरती पर पलाश ही न$जर आयेंगे बस...हर फूल में महकेगी मोहब्बत. हर दिल में बसेगी मोहब्बत. देखना तुम. लड़की का चेहरा पलाश की तरह खिल उठा था.
    लड़के को पलाश के फूलों से मोहब्बत झरते हुए महसूस हो रही थी.
    सचमुच.nice

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  3. बेहतरीन भावों की अभिव्यक्ति!

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  4. पलाश प्रेम का प्रतीक । लाल-लाल शोणित की तरह ।

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  5. bahut hi khubsurat....ppalaash ke symbol ko apne bahut sahjata se aur parveenta se mohabbat ke sath jod dia...
    jab sari prithvi par khil uthegi mohabbat, tab sari dharat par khis uthenge palaash...
    again congrates for this beautiful thought.........dr.amarjeet kaunke

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  6. पलाश के बहाने प्रेम की तलाश के शब्द बहुत मीठे हैं. कभी बारिश में भीगना हो या फिर गमलों में खिलते फूलों को सहेजने का शब्द चित्र, आपके मन में कुदरत रची बसी है.

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  7. देखना एक दिन ये धरती पलाश से भर जायेगी...धरती पर पलाश ही न$जर आयेंगे बस...हर फूल में महकेगी मोहब्बत. हर दिल में बसेगी मोहब्बत. देखना तुम. लड़की का चेहरा पलाश की तरह खिल उठा था.
    लड़के को पलाश के फूलों से मोहब्बत झरते हुए महसूस हो रही थी.
    सचमुच.nice

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  8. beautiful.its a new"vidha" u r devloping i call it poetic prose.

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  9. पलाश के नीचे
    यादें भी
    पलाश
    सी हो गई
    होंगी ...

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  10. पलाश तले ,
    यादों के फूल बिखरे,
    जितने भी समेटे ,
    अंचल कम पड़ गया,
    लाल फूलों का ढेर तो,
    बढता ही गया,बढता ही गया .
    .............................कितना कुछ यद् दिला गये पलाश, धन्यवाद

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  11. आज ही कहीं देखा था पलाश को. फूलों से लदा. उसके नीचे भी बिखरे थे और मैंने उन्हें उठाया और याद किया पलाश वनों को जो मेरे गांव के पास थे पर अब नहीं. अब तो वो बस अकेले खड़े दिखते हैं या दिखते हैं कहानी में, जैसे आपकी.

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  12. इतनी अच्छी लगी ये कथा कि मैं अगर तारीफ में कुछ कहूँ तो रचना की तौहीन होगी, इसलिए सिर्फ इतना ही कहूँगा कि - नमन !! सादर !

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