achcha hai. Wo kahte hain na ki photo se khel gaye.
नयनाभिराम! अतुल हुंडू जी को बधाई!--ओंठों पर मधु-मुस्कान खिलाती, कोहरे में भोर हुई!नए वर्ष की नई सुबह में, महके हृदय तुम्हारा!संयुक्ताक्षर "श्रृ" सही है या "शृ", मिलत, खिलत, लजियात ... ... .संपादक : सरस पायस
यह भी एक नज़रिया!! बढ़िया!
theek baat :)सूरज पर कब्ज़ा जमाते हुए..
बेहद सही ! खूबसूरत ।
behtreen rachnaaa.....
achcha hai. Wo kahte hain na ki photo se khel gaye.
ReplyDeleteनयनाभिराम! अतुल हुंडू जी को बधाई!
ReplyDelete--
ओंठों पर मधु-मुस्कान खिलाती, कोहरे में भोर हुई!
नए वर्ष की नई सुबह में, महके हृदय तुम्हारा!
संयुक्ताक्षर "श्रृ" सही है या "शृ", मिलत, खिलत, लजियात ... ... .
संपादक : सरस पायस
यह भी एक नज़रिया!! बढ़िया!
ReplyDeletetheek baat :)सूरज पर कब्ज़ा जमाते हुए..
ReplyDeleteबेहद सही ! खूबसूरत ।
ReplyDeletebehtreen rachnaaa.....
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