Thursday, May 7, 2009

दर्द और प्रेम एक ही तो बात है

समय ने उन्हें
एक-दूसरे के सामने
ला खड़ा किया था।
एक सी दहशत,
एक सा भय था उनके चेहरे पर
न नाम पता था,
न शक्लें थीं पहचानी हुईं।
उनके पीछे था
गुस्से में उफनाए लोगों का हुजूम
और लगातार तेज हो रहा शोर,
हाथों में थीं नंगी तलवारें, बम, गोले,
आंखों में वहशत
बढ़ता ही जा रहा था हुजूम
उन्होंने पीछे मुड़कर देखा,
फिर सामने,
पीछे थी वहशत
और सामने थी
विशाल, गहरी,भयावह नदी,
दर्द की नदी।
शोर बढ़ता ही जा रहा तह
उन्होंने एक साथ लगा दी छलांग
दर्द की उस नदी में
वे एक साथ डूबने लगे
मुस्कुराते हुए।
दर्द की उस नदी में
प्रेम बह रहा था
प्रेम और दर्द एक ही तो बात है।
- प्रतिभा

6 comments:

  1. सत्य वचन, प्रेम का दर्द इत्ता और ऐसा होता है कि उस दर्द से प्रेम हो जाता है।

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  2. आंखों में वहशत
    बढ़ता ही जा रहा था हुजूम
    उन्होंने पीछे मुड़कर देखा,
    फिर सामने,
    पीछे थी वहशत
    और सामने थी
    विशाल, गहरी,भयावह नदी,
    दर्द की नदी।

    बेहतरीन अल्‍फाज सुंदर रचना

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  3. दर्द का हद से गुज़र जाना
    हो जाता है दवा होना.

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  4. hinsa aub kavitaon mein bhi deekhne lagi hai

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  5. पहली बार इस विषय पर गहराई से सोचने को विवश हुआ।

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    SBAI TSALIIM

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