लिखती हुई लड़कियां
बहुत खूबसूरत होती हैं
लिखती हुई लड़कियां
अपने भीतर रचती हैं ढेरों सवाल
अपने अन्दर लिखती हैं
मुस्कुराहटों का कसैलापन
जबकि कागजों पर वे बड़ी चतुराई से
कसैलापन मिटा देती हैं
कविता मीठी हो जाती है
वे लिखती हैं आसमान
पर कागजों पर आसमान जाने कैसे
सिर्फ़ छत भर होकर रह जाता है
वे लिखती हैं
सखा, साथी, प्रेम
कागजों पर वो हो जाता है
मालिक, परमेश्वर और समर्पण।
वे लिखती हैं दर्द, आंसू
वो बन जाती हैं मुस्कुराहटें
वे अपने भीतर रचती हैं संघर्ष
बनाना चाहती हैं नई दुनिया
वो बोना चाहती हैं प्रेम
महकाना चाहती हैं सारा जहाँ
लेकिन कागजों से उड़ जाता है संघर्ष
रह जाता है, शब्द भर बना प्रेम.
वे लिखना चाहती हैं आग
जाने कैसे कागजों तक
जाते-जाते आग हो जाती है पानी
लिखती हुई लड़कियां
नहीं लिख पाती पूरा सच
फ़िर भी सुंदर लगती है
लिखती हुई लड़कियां.
लिखती हुई लड़कियां मुझे भी अच्छी लगती है
ReplyDeleteक्योंकि वो लिखती हैं प्यार दुलार ममता स्नेह
क्रंदन वंदन अभिनन्दन
निश्छल भावनाओं की अभिव्यक्ति
जब आकर लेती है
शब्द जैसे आत्मा की आवाज बन जाते हैं
जब वही लड़की लिखती है विरोध आक्रोश
तो सामाजिक बंधन टूटने से लगते हैं
समय रुक सा जाता है
और संस्कृति भी चल पड़ती है उस और
कलम चल पड़ती हैजिधर
मुझे भी अच्छी लगती है लिखती हुई लड़कियां/
bahut accheyy,,,silsila ban gayaa aapkey blog per aaney ka...
ReplyDeleteलिखती हुयी लडकियां, लिखते हुये भी कहाँ कुछ लिख पाती हैं..
ReplyDeleteआपकी कविता ने जैसे उनका अन्तर्द्वंद दिखा दिया..
RACHANAOON KA SILSILA YOONHI JAREE RAHE YHAI DUA HAI MERI
ReplyDeleteMANOJ"MAUN"
वे लिखना चाहती हैं आग
ReplyDeleteजाने कैसे कागजों तक
जाते-जाते आग हो जाती है पानी
लिखती हुई लड़कियां
नही लिख पाती पूरा सच
फ़िर भी सुंदर लगती है
लिखती हुई लड़कियां......
...
आप उन सभी लिखती हुई लड़कियों की आवाज़ बन गयी है इस कविता में ...
मैं ऐसी कम से कम दो लड़कियों को जानता हूँ जो आग को आग ही लिख देती हैं ..
मैं उन्हें प्रणाम करता हूँ जब भी उनकी स्मृति होती है ...मेरे मन में एक आदर का भाव वो साथ लेकर ही आती हैं
और तब मुझे बहुत अच्छा लगता है.
आपने लड़कियों के अंतर्मन में लिखे को बाहरी दुनिया में लाने का दुस्साहस कर ही डाला न तो अब कुछ ऐसा होगा
ReplyDeleteविद्रोह करती लड़कियां,
अंतर्मन को समेटती लड़कियां,
छा जाने को बेकरार लड़कियां,
रूढ़ियों को ठेगा दिखाती लड़कियां,
संकीर्णता को लतियती लड़कियां,
खिलखिलाती लड़कियां,
नई इबारत लिक्ति लड़कियां
very heart-touching.Beautiful
ReplyDeleteमन की अंतर्बाधा सब में होता है ,स्त्रियों में शायद कुछ ज्यादा --सुन्दर प्रस्तुति !
ReplyDeleteजन्नत में जल प्रलय !
आज ब्लॉग बुलेटिन के माध्यम से आपकी यह पुरानी पोस्ट पढने का सौभाग्य मिला. वर्ना इतनी अच्छी कविता से वंचित ही रह जाती मैं.
ReplyDeleteकितना सच कह दिया है आपने. लिखती तो हैं पर क्या लिख पाती हैं लडकियां ...
आज ब्लॉग बुलेटिन के माध्यम से आपकी यह पुरानी पोस्ट पढने का सौभाग्य मिला. वर्ना इतनी अच्छी कविता से वंचित ही रह जाती मैं.
ReplyDeleteकितना सच कह दिया है आपने. लिखती तो हैं पर क्या लिख पाती हैं लडकियां ...
Shukriya Shikha ji
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ....
ReplyDelete