tag:blogger.com,1999:blog-3177714620156318654.post3529898013530807948..comments2024-03-18T16:43:16.650+05:30Comments on प्रतिभा की दुनिया ...: एक ख़तPratibha Katiyarhttp://www.blogger.com/profile/08473885510258914197noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-3177714620156318654.post-90376442684332363122011-03-14T22:25:40.598+05:302011-03-14T22:25:40.598+05:30कितनी बार पढ़ चुकी हूँ इस ख़त को. कितना गहरा, कितन...कितनी बार पढ़ चुकी हूँ इस ख़त को. कितना गहरा, कितना साफ़, कितना ठंडक पहुँचाने वाला.<br /><br />शुक्रिया प्रतिभा जी, इसे हमसे शेयर करने के लिए.priyahttps://www.blogger.com/profile/07394923216750226480noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3177714620156318654.post-20552330707863658252011-03-14T15:07:10.675+05:302011-03-14T15:07:10.675+05:30यह पत्र बहुत ही गहराई लिये है, मानव का मन बहुत गहर...यह पत्र बहुत ही गहराई लिये है, मानव का मन बहुत गहरा है। एकांत को सम्हाल पाना सम्भव नहीं, व्यस्तता से अधिक भार लिये होता है एकांत। एकांत जीवन का विष निकाल देता है और यदि सम्हाल न पायें तो व्यग्रता बढ़ा देता है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.com