tag:blogger.com,1999:blog-3177714620156318654.post712385763911227411..comments2024-03-18T16:43:16.650+05:30Comments on प्रतिभा की दुनिया ...: परवीन के गली- 4Pratibha Katiyarhttp://www.blogger.com/profile/08473885510258914197noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-3177714620156318654.post-52664175881885668392009-05-20T14:16:28.455+05:302009-05-20T14:16:28.455+05:30उम्दा शेर है परवीन जी की उनके इन शेरो में चंद लाइन...उम्दा शेर है परवीन जी की उनके इन शेरो में चंद लाइन मेरी भी ...<br /><br />कभी है पूरा कभी अधूरा <br />बदला बदला होगा चाँद !<br /><br />किस रकीब का पीछा करता <br />पागल पागल फिरता चाँद !प्रवीण द्विवेदी की दुकानhttps://www.blogger.com/profile/07662774485278147188noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3177714620156318654.post-3992403418552654092009-05-18T15:45:00.000+05:302009-05-18T15:45:00.000+05:30चाँद कभी तन्हा नही होता,संग में रहते तारे हैं।
नभ ...चाँद कभी तन्हा नही होता,संग में रहते तारे हैं।<br />नभ की नगरी उसके संग,रहते सभी सितारे हैं।डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3177714620156318654.post-23610614762975659232009-05-18T14:16:00.000+05:302009-05-18T14:16:00.000+05:30अल्लाह केसरी जी हमने नहीं परवीन शाकिर ने लिखा है इ...अल्लाह केसरी जी हमने नहीं परवीन शाकिर ने लिखा है इस खूबसूरत ग$जल को. सारी बधाई, आप सबका स्नेह उनका है. मैं भी उनकी घनघोर फैन हूं.Pratibha Katiyarhttps://www.blogger.com/profile/08473885510258914197noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3177714620156318654.post-48016491655050486672009-05-18T02:15:00.000+05:302009-05-18T02:15:00.000+05:30प्रतिभा जी,
बहुत सुन्दर गजल कही आपने
श्रेष्ठ भाव ...प्रतिभा जी,<br />बहुत सुन्दर गजल कही आपने <br />श्रेष्ठ भाव लिए सुन्दर गजल है <br /><br />ये शेर ख़ास पसंद आया <br /><br />किस मकतल से गुजऱा होगा<br />ऐसा सहमा-सहमा चांद<br /><br />वीनस केसरीवीनस केसरीhttps://www.blogger.com/profile/08468768612776401428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3177714620156318654.post-19989248701354533152009-05-18T01:26:00.000+05:302009-05-18T01:26:00.000+05:30परवीन शाकिर की शायरी मुझे बहुत प्रिय रही है....उनक...परवीन शाकिर की शायरी मुझे बहुत प्रिय रही है....उनकी ग़ज़लों में आम विरही स्त्रियों की टीस है और उनके प्रेम को कभी ना समझ पाने की पुरुषों की असफलता का बयान भी. उनकी असमय मौत से एक बड़ी खाली जगह बनी है जो अब भी अखरती है..... इन ग़ज़लों से आपने सुदूर किसी अतीत में पहुँचा दिया.शिरीष कुमार मौर्यhttps://www.blogger.com/profile/05256525732884716039noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3177714620156318654.post-9292411967538209642009-05-17T22:58:00.000+05:302009-05-17T22:58:00.000+05:30प्रतिभा जी अच्छा लिखा है
"इतने घने बादल के पीछे...प्रतिभा जी अच्छा लिखा है<br /> <br />"इतने घने बादल के पीछे<br />कितना तनहा होगा चाँद "<br /><br /> विजयविजय तिवारी " किसलय "https://www.blogger.com/profile/14892334297524350346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3177714620156318654.post-29550167268300099452009-05-17T18:32:00.000+05:302009-05-17T18:32:00.000+05:30bahut sunder abhivyakti hai shubhkamnayenbahut sunder abhivyakti hai shubhkamnayenनिर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.com