Saturday, May 30, 2020

याद को कहीं जाने की जल्दी नहीं होती

फोटो- संज्ञा उपाध्याय 

जब याद आती है
तब सिर्फ याद आती है
जिद करती है
कि सब छोड़ बैठो बस उसके ही संग

तुम्हारी याद का चेहरा
ज्यादा सुंदर है तुम्हारे चेहरे से
उसके संग बैठना
है ज्यादा सुखकर
जानते हो तुम?
तुम्हारे साथ होकर भी कई बार
की हैं तुम्हारी याद से बातें

याद को कहीं जाने की
जल्दी नहीं होती
उसके जेहन में नहीं होता
कोई काम
किसी और का ख्याल

तेज़ धूप में बारिश बन बरसती है वो
टपकती है संगीत की धुन बनकर
चाँद बन दमकती है
अमावस की रातों में
थामकर हाथ सुलाती है वो
रात भर सहलाते हुए सर
सुबह के बोसे के संग जगाती है

तुम्हारी याद मुझे कभी तन्हा रहने नहीं देती
हालाँकि जब तुम होते हो पास
बहुत ज्यादा तन्हा होती हूँ मैं.

2 comments:

Onkar said...

बहुत बढ़िया

Onkar said...

बहुत बढ़िया