Tuesday, February 4, 2020

ये खूबसूरत लड़कियां


'हल्ला बोल' बोलती
आज़ादी के नारे लगाती
न सिर्फ अपने
बल्कि अपनों के हक़ को भी समझती
उन हकों के लिए जूझती
लड़कियां खूबसूरत लगती हैं

जुल्मो-सितम के आगे घुटने न टेकने वाली
अपनी बात को ठीक से रखने वाली
उनींदी आँखों और उलझे बालों वाली,
खून और पसीने से लथपथ लड़कियों के
सौन्दर्य का नहीं है कोई सानी

सत्ता से टकराती, पुलिसिया मार खाती
जेलों में ठूंस दी जाती
फिर भी हार न मानने वाली लड़कियां
बहुत अच्छी लगती हैं

आज़ादी के तराने गाती
संविधान को सहेजती
अपनी शिक्षा को सही मानी देती
हिंसा के खिलाफ खड़ी होकर
हिंसा का सामना करती लड़कियां
बहुत प्यारी लगती हैं

रुपहले पर्दे से उतरकर
दुनियावी खूबसूरती का ताज उतार
हक़ की लड़ाई में शामिल लोगों के साथ
चुपचाप शामिल होती लड़कियां
बहुत ज्यादा सुन्दर लगती हैं
और ये सुंदर लड़कियां
सत्ता की आँख में किरकिरी सी चुभती हैं
सत्ता की आँख की यह चुभन
उनके सौन्दर्य को निखारती ही जाती है.

इतिहास बनाती लड़कियां 

वो समझती हैं अपनी मर्जी को
जीती हैं उस मर्जी को
न बनती हैं किसी के हाथ का खिलौना
न बाँध सकता है कोई उन्हें खूंटे से गाय की तरह
सर झुकाकर नहीं वो सीना तानकर चलती हैं
पढ़ती हैं इस्मत, कुर्तुलएन और मंटो को
आँख से आँख मिलाकर करती हैं बात
यूँ ही नहीं मानती बात कोई भी, किसी की भी
पूछती हैं सवाल, परखती हैं बात
इतिहास पढ़ती भर नहीं
इतिहास बनाने का भी माद्दा रखती हैं
अटकती नहीं देह के भूगोल में
कि दुनिया के नक्शे में दर्ज करना जानती हैं
अपने पैरों के निशान
नहीं भाता उन्हें
सकुचा-सकुचा के बात करना
बे-बात मुस्कुराना
मोहल्ले गॉसिप में वो शामिल नहीं होतीं
इसलिए उस गॉसिप का सामान बन जाती हैं

दौड़ती-भागती, हांफती लड़कियां
समर्थ होती हैं अपनी हर लड़ाई खुद लड़ने में
उन्हें कन्धों की तलाश नहीं होती
वो उठाना जानती हैं बोझ
अपने दुखों का, 
अपनी हार का भी

वे सभी, सुशील, गृहकार्य में दक्ष वाले वैवाहिक विज्ञापनों पर
रखकर खाती हैं समोसा
मुस्कुरा देती हैं किसी मजदूर के काँधे पर हाथ रखकर
रो लेती हैं जोर से खुली सडक पर
और उतनी तेज़ से हंस भी लेती हैं कहीं भी, कभी भी
नहीं आती किसी की लच्छेदार बातों में
अच्छे-बुरे का भेद बखूबी समझती हैं
आधी रात को सड़कों को पाट देतीं हैं आज़ादी के नारों से
वो अपनी लड़ाई लड़कर चैन से सोती हैं
लेकिन नींदें उड़ा देती हैं समाज के ठेकेदारों की

इनके चेहरे पर अश्लील फब्तियों का तेजाब फेंका जाता है
उन्हीं की देह रौंदकर उन्हें ही
चरित्रहीन करार दिया जाता
फिर भी डरती नहीं ये लड़कियां
लड़ती हैं आखिरी सांस तक
इतिहास उन्हें टुकुर-टुकुर देखता है
चरित्रहीनता के तमाम सर्टिफिकेट
औंधे पड़े हैं इनकी मुस्कुराहटों के आगे.
कि दुनिया को जीने लायक बना रही हैं 
ये चरित्रहीन करार दी गयी लड़कियां.

2 comments:

व्याकुल पथिक said...

नारीत्व की महिमा के संदर्भ में कहा गया है कि नारी प्रेम ,सेवा एवं उत्सर्ग भाव द्वारा पुरुष पर शासन करने में समर्थ है। वह एक कुशल वास्तुकार है, जो मानव में कर्तव्य के बीज अंकुरित कर देती है। यह नारी ही है जिसमें पत्नीत्व, मातृत्व ,गृहिणीतत्व और भी अनेक गुण विद्यमान हैं। इन्हीं सब अनगिनत पदार्थों के मिश्रण ने उसे इतना सुंदर रूप प्रदान कर देवी का पद दिया है। हाँ ,और वह अन्याय के विरुद्ध पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर संघर्ष से भी पीछे नहीं हटती है। अतः वह क्रांति की ज्वाला भी है।नारी वह शक्ति है जिसमें आत्मसात करने से पुरुष की रिक्तता समाप्त हो जाती है।
सृष्टि की उत्पादिनी की शक्ति को मेरा नमन।

Sudha Devrani said...

उन्हीं की देह रौंदकर उन्हें ही
चरित्रहीन करार दिया जाता
फिर भी डरती नहीं ये लड़कियां
लड़ती हैं आखिरी सांस तक
इतिहास उन्हें टुकुर-टुकुर देखता है
चरित्रहीनता के तमाम सर्टिफिकेट
औंधे पड़े हैं इनकी मुस्कुराहटों के आगे.
कि दुनिया को जीने लायक बना रही हैं
ये चरित्रहीन करार दी गयी लड़कियां.
बहुत सटीक... बदलते परिवेश में निखर रही हैं ऐसी बहादुर लड़कियां....
बहुत लाजवाब सृजन
वाह!!!