Tuesday, March 12, 2019

कुछ पैगाम भेजे हैं



फागुनी खुशबू
आम की बौर की बौराहट के साथ
आवारगी के तमाम राग भेजे हैं

नीले पंखों वाली चिड़िया
की आवाज भेजी है
लड़कपन के तमाम सवाल भेजे हैं

साईकल की उतरी हुई चेन
और हाथों में सनी ग्रीस के निशान भेजे हैं
तुम्हारे पीछे भागने की मेरी इच्छा
और तुम्हारे ढूँढने पर छुप जाने के
शरारती खेल भेजे हैं

उतरती शाम के साए तले
अजनबी रास्तों में खो जाने के
ख्वाब भेजे हैं

तुम्हारी कलाई में रक्षा धागे की जगह
खुद को बाँध देने के ख्याल भेजे हैं

मोहब्बत भरे कुछ सलाम भेजे हैं

तुम्हारी उदास आवाज के नाम
कुछ पैगाम भेजे हैं


5 comments:

मन की वीणा said...

वाह बहुत खूबसूरत रचना ।

Ravindra Singh Yadav said...

नमस्ते,

आपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में
गुरुवार 14 मार्च 2019 को प्रकाशनार्थ 1336 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।

प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा।
चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर।
सधन्यवाद।

सुशील कुमार जोशी said...

सुन्दर

मन की वीणा said...

वाह बहुत सुन्दर कोमल सुकुमार रचना

Sudha Devrani said...

बहुत लाजवाब रचना....
वाह!!!