Saturday, March 10, 2018

तुम गाना गीत


जब गुजरना सहराओं से
गुनगुनाना नदियों और झरनों के गीत
जब गुजरना पथरीले ऊबड़ खाबड़ रास्तों से
गुनगुनाना हरियाली के, पगडंडियों के खेतों के गीत
जब अँधेरा बिगुल बजाये कान पर
तुम गुनगुनान रौशनी के गीत

जब जिन्दगी उदासियों की बाड़ लगाये
तुम गाना खिलखिलाहटों के गीत

जब मृत्यु हाथ थामे
तुम मुस्कुराना और गाना जिन्दगी के गीत.

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कभी-कभी कोई सवाल न पूछकर भी
दी जा सकती है राहत
कभी कुछ न पूछकर भी और कभी
मौन रहकर भी

हमेशा साथ होने के लिए नहीं जरूरी होता
साथ में होना
कभी दूर रहकर भी दिया जा सकता है साथ

प्यार के लिए गले से लगाना ही काफी नहीं होता
कई बार लगाने पड़ते हैं थप्पड़
बकनी पड़ती हैं गलियां
और बनानी पड़ती है बेस्वाद चाय

दोस्त, सांत्वना से बचो
जब जरूरी लग रहा हो सांत्वना देना
कि सांत्वना से बड़ा दंश कोई नहीं.

4 comments:

Onkar said...

सुन्दर रचना

दिगम्बर नासवा said...

सांत्वना कई बार और द्रवित कर जाती है मन ...
सच कहा है इस रचना में ... लाजवाब ...

Abhi said...

बेहतरीन प्रस्तुति।
आप जागरण लखनऊ से जुड़ी रहीं हैं?

Abhi said...

सुंदर रचना।