Thursday, November 3, 2016

ख्वाहिश की लंदन डायरी - 6


डर्डल डोर- आखिर वो दिन आ गया जब मैं अपनी फेवरेट जगह जाने वाली थी यानी डर्डल डोर। यह जगह लंदन से 2 घंटे की दूरी पर था। मामा मामी के दोस्तों को मिलाकर हम करीब दस लोग वहां एक साथ जा रहे थे। गाड़ी में हम खूब मस्ती करते हुए हम डर्डल पहुंच गये लेकिन मेरी आंखें खुली की खुली रह गईं जब मामा ने बताया कि डोर तक पहुंचने के लिए हमें तीन पहाडि़यां पैदल चलनी पड़ेगी। गाडि़यां पार्क करके हमने चढ़ना शुरू किया। आधी पहाड़ी चढ़ते हुए हमें यह लगने लगा कि आगे क्या होने वाला है। जैसे-तैसे हंसी मजाक करते हुए हम लोगों ने दो पहाडि़यां पार कीं। तीसरी पहाड़ी पर असल में चढ़ना नहीं उतरना था। मुझे उतरते हुए काफी घबराहट हो रही थी क्योंकि ढलान काफी ज्यादा थी।
लेकिन उतरने में ज्यादा वक्त नहीं लगी और हम पहाड़ी पार कर गये। इसके बाद जब हम सीढि़यों से उतरे तो एक बहुत ही प्यारा नजारा हमारे सामने था। नीला समंदर और उसमें एक प्यारा सा प्राकतिक रूप से बना हुआ चट्टान का दरवाजा। जो कि बहुत विशाल था। थोड़ी देर हमने वहां के ठंडे पानी में छप छप करी, तस्वीरें खींची और खिंचवाई। थोड़ी देर वहां बैठकर हम समंदर को देखते हुए बातें करते रहे इसके बाद हम वापस उन्हीं पहाडि़यों से चढकर और उतरकर दूसरे समंदर के नजारे देखने को चल पड़े। वो समंदर भी वहां से पंद्रह मिनट की दूरी पर ही था। जब हम वहां पहुंचे तो वहां कई प्रकार के मजेदार म्यूजिकल इंस्टूमेंट्स थे जिनको बजाते हुए मैं गुजर रही थी। थोड़ी देर सुकून से हमने समंदर को देखा और फिर हमने महसूस किया कि हमें भूख लग रही है। इसके बाद हमने इंडियन रेस्टोरेंट को गूगल किया और उसकी खोज करते हुए वहां पहुंचे। वहां पहुंचकर हमने भरपेट खाना खाया और वापस घर की ओर चल पड़े। मन कर रहा था कि मैं सो जाउं लेकिन घर पहुंचने का रास्ता अभी काफी दूर था। रात के एक बजे के करीब हम घर पहुंचे और पहंुचते ही नींद ने हमें घेर लिया।
अगला दिन हमने खूब आराम किया क्योंकि सब बहुत थके हुए थे। अगले दिन हमें इंडिया वापस लौटना था तो हम सब घर पर साथ में रहकर गप्पे लगाना चाहते थे। यह लंदन में हमारा आखिरी दिन था। सारा दिन हमने एक-दूसरे से गप्पे लर्गाईं रात में मामा ने देर तक गिटार पर खूब सारे गाने बजाये। किसी का उठने का मन नहीं था। लेकिन जब रात काफी हो गई तो सबको सोने जाना ही पड़ा।

जब अगले दिन हम उठे तो मम्मी सामान समेट रही थीं। मम्मी ने नाश्ता बनाया दीदी और मामी हमें बाय कहकर अपने काम पर चले गये। हमने मम्मी का बनाया हुआ गर्मागर्म नाश्ता खाया, और उसके बाद मामा के साथ खूब सारी बातें की और टीवी पर एनिमेशन फिल्में देखीं। मामा ने हमारे लिए खाने में दाल बाटी बनाई। खाना खाने के बाद हमने कुछ देर आराम किया और फिर एयरपोर्ट के लिए निकल पड़े। हमारा मन उदास था, जाने का मन नहीं कर रहा था लेकिन इंडिया की याद भी आ रही थी।

लंदन का हमारा सफर पूरा हो चुका था। लंदन की बहुत सारी यादें लेकर हम भारत की ओर लौट रहे थे। 

समाप्त.

3 comments:

कविता रावत said...

सुहावनी लन्दन यात्रा!

Onkar said...

सुन्दर वर्णन

HindIndia said...

बहुत ही उम्दा .... बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति .... Thanks for sharing this!! :) :)