Tuesday, June 10, 2014

एक तुम्हारी याद....



एक तुम्हारी याद
पूर देती है जख्म सारे

जेबों में भर देती है
खुशियों की ढेर सारी आहटें

जिंदगी के कैनवास पर रचती है
उम्मीदों की मासूम लकीरें

मायूसियों को विदा कहते हुए
मुस्कुराती है
पलकें झपकाती है, गुनगुनाती है

एक तुम्हारी याद
क्या से क्या कर देती है
बंजर सी धरती पर
बारिश बो देती है…

2 comments:

वाणी गीत said...

यादें हैं जैसे कि कारू का खजाना !
बहुत बढ़िया !

dr.mahendrag said...

यादें खुश करती हैं तो कभी रुला भी देती हैं इसीलिए किसी ने कहा इन यादों का में क्या करू ?अच्छी कृति प्रतिभाजी