Thursday, March 17, 2011

इस होली...


चलो, दुःख को नहला दें
खुशियों के रंग से,

चलो, भूख पर
उलीच दें
रोटी की खुशबू,

चलो, हताशाओं को
सराबोर करें
उम्मीदों के गाढ़े रंग से,

चलो फिरकापरस्ती को दबोचकर
शांति के रंग में डुबो ही दें

चलो, विरह के गालों पर मलें
मिलन का रंग सुनहरी
इस होली...

10 comments:

Neeraj said...

सकारात्मक उर्जा से भरी पोस्ट

siddheshwar singh said...

होली की रस्मी और लगभग वायवी पोस्ट से अलग एक जरूरी पोस्ट ! एक अच्छी कविता !

प्रवीण पाण्डेय said...

उत्साह से लपेट लें जगत को।

rajani kant said...

उम्मीद से भरी कविता . काश ! ऐसा ही हो.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

सुन्दर रचना!
होली की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
--
वतन में अमन की, जागर जगाने की जरूरत है,
जहाँ में प्यार का सागर, बहाने की जरूरत है।
मिलन मोहताज कब है, ईद, होली और क्रिसमस का-
दिलों में प्रीत की गागर, सजाने की जरूरत है।।

Udan Tashtari said...

बहुत बढ़िया...

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत खूबसूरत भावों से रची है यह रचना

vandana gupta said...

वाह बहुत सुन्दर आह्वान्………………होली की हार्दिक शुभकामनायें।

Unknown said...

हताशा को उत्साह के रंग से सराबोर करना वाकई काबिलेतारीफ है

बाबुषा said...

Wow ! :-)

kuchh iss tarah ki baat ki thi maine 'vaseeyat' mein..puraani posthai ek..phati puraani ! :-)