Monday, November 22, 2010

दुख का होना

दुख जब पसारे बांहें
तो घबराना नहीं,
मुस्कुराना
सोचना कि जीवन ने
बिसारा नहीं तुम्हें,
अपनाया है.
दुख का होना
है जीवन का होना
हमेशा कहता है दुख
कि लड़ो मुझसे,
जीतो मुझे.
वो जगाता है हमारे भीतर
विद्रोह का भाव
सजाता है ढेरों उम्मीदें
कि जब हरा लेंगे दुख को
तो बैठेंगे सुख की छांव तले
दुख हमारे भीतर
हमें टटोलता है
खंगालता है हमारा
समूचा व्यक्तित्व
ढूंढता है हमारे भीतर की
संभावनाएं
दुख कभी नहीं आता
खाली हाथ.
हमेशा लेकर आता है
ढेर सारी उम्मीदों की सौगात
लडऩे का, जूझने का माद्दा
अग्रसर करता है हमें
जीवन की ओर
लगातार हमारे भीतर
भरता है आन्दोलन
दुख कभी खाली हाथ नहीं जाता
हमेशा देकर जाता है
जीत का अहसास
खुशी कि हमने परास्त किया उसे
कि जाना अपने भीतर की
ऊर्जा को
कि हम भी पार कर सकते हैं
अवसाद की गहरी वैतरणी
और गहन काली रात के आकाश पर
उगा सकते हैं
उम्मीद का चांद
दुख का होना
दुखद नहीं है.
सचमुच!
(रिल्के के कथन से प्रभावित. रिल्के कहते हैं कि अवसाद का हमारे जीवन में होना हमारा जीवन में होना है.)

7 comments:

आपका अख्तर खान अकेला said...

saahsik sujhaav bhri rchnaa bhut bhut bhut bhut bhut bhut bhut bhut mubark ho bhn ji . akhtar khan akela kota rajsthan

M VERMA said...

दुख का होना
है जीवन का होना
यकीनन जीवन को रेखांकित करता है दुख
सुन्दर रचना

प्रवीण पाण्डेय said...

रिल्के के कथन से मैं पूर्णतया सहमत हूँ।

सुशीला पुरी said...

हम भी पार कर सकते हैं
अवसाद की गहरी वैतरणी
और गहन काली रात के आकाश पर
उगा सकते हैं
उम्मीद का चांद
दुख का होना
दुखद नहीं है.
सचमुच!
.....
सचमुच !!!

Swapnrang said...

achhi hai.padh kar laga hamesha dukhi raha jaay usi main sukh hai

rohit said...

सही लिखा आपने दुख ढेर सारी उम्मीद लेकर आता है । इन उम्मीदों का पता दुख के चले जाने के बाद लगता है । सुख के अहसास की जड में दुख ही तो है । आशा है अब स्वस्थ होंगी ।

रोहित कौशिक

देवेन्द्र पाण्डेय said...

दुख कभी नहीं आता
खाली हाथ.
हमेशा लेकर आता है
ढेर सारी उम्मीदों की सौगात
...सुंदर दर्शन, अच्छी कविता ।