Wednesday, July 28, 2010

तेरे दिल को ख़बर रहे न रहे

तू मुझे इतने प्यार से मत देख

तेरी पलकों के नर्म साये में

धूप भी चांदनी सी लगती है

और मुझे कितनी दूर जाना है

रेत है गर्म, पाँव के छाले

यूँ दमकते हैं जैसे अंगारे

प्यार की ये नज़र रहे, न रहे

कौन दश्त-ए-वफ़ा में जाता है

तेरे दिल को ख़बर रहे न रहे

तू मुझे इतने प्यार से मत देख

- अली सरदार जाफ़री

5 comments:

अजय कुमार said...

अच्छी प्रस्तुति , आभार ।

Anonymous said...

बहुत ही खूबसूरत पंक्तियाँ........

Harshvardhan said...

nice post......

Dr. Zakir Ali Rajnish said...


ज़ाफ़री साहब की इस नज्म को हम तक पहुँचाने का शुक्रिया।

…………..
अद्भुत रहस्य: स्टोनहेंज।
चेल्सी की शादी में गिरिजेश भाई के न पहुँच पाने का दु:ख..।

अविनाश वाचस्पति said...

मन को जच गई।