Saturday, June 12, 2010

दु:ख का जायका

मेरे लोगो!
दु:ख से समझौता न करना
वरना दु:ख भी कड़वाहटों की तरह तुम्हारे $जायके का हिस्सा बन जायेगा
तुम दु:ख के बारे में $गौर करना...
उसकी माहीयत जानना, उसकी तुम ड्राइंग करना
और सर जोड़कर उस तस्वीर से बातें करना
गली के बाहर मैदानों में, खेतों में,
घर की छतों के ऊपर
हर तरफ बातें करना, दु:ख की, आनेवाले सुख की
मेरे लोगो!
दु:ख को जब पहचानोगे तो उसका कर्ज उतारोगे
इक-इक पैसा जमा करना सुख की ख़ातिर
हथियार बनाना, ज़ेहनों में, तस्वीरों में तहरीरों में
फिर दु:ख के आगे डट जाना
और ऐसी दीवार बनना जिसकी तैयारी में का$फी दिन लगे हों
का$फी लोग लगे हों
सारी खूबियां उस दीवार में हो, सब सैलाबों के आगे डट जाने की
मेरे अच्छे लोगो!
क्या तुमने सोचा है के: दीवारें भी नंगी हो जाती हैं कुछ ईंटों के गिर जाने से
तुम सोच-समझ के अपने संगी साथी बनाना
ईंटों को गिरने न देना
धीमी आंच में धीमे-धीमे बातें करना दु:ख की,
सुख की तुममें जो सबसे अच्छी बात करेगा
वही तुम्हारा साथी होगा-वही तुम्हारा सूरज होगा
मेरे लोगो!
दु:ख के दिनों में सूरज के रस्ते पर चलना
उसके डूबने-उभरने के मं$जर पर $गौर करना
मेरे लोगो!
झील की मानिंद चुप न रहना
बातें करना, चलते रहना, दरिया की रवानी बनना
मेरे लोगो!
दु:ख से कभी समझौता मत करना, हंसते रहना
दु:ख के घोड़े की लगामों को पकड़ कर हवा से बातें करना
ऊंचा उडऩा.
- शाईस्ता हबीब

4 comments:

Rangnath Singh said...

दुःख- इस पर मुझे कुछ नहीं कहना। भूल जाने से बेहतर कुछ नहीं होता।

संगीता पुरी said...

तुम सोच-समझ के अपने संगी साथी बनाना
ईंटों को गिरने न देना
धीमी आंच में धीमे-धीमे बातें करना दु:ख की,
सुख की तुममें जो सबसे अच्छी बात करेगा
वही तुम्हारा साथी होगा-वही तुम्हारा सूरज होगा
मेरे लोगो!
सटीक !!

आचार्य उदय said...

आईये जानें .... क्या हम मन के गुलाम हैं!

Shekhar Kumawat said...

शानदार पोस्ट है...