Friday, June 11, 2010

हाय मैंने गहने क्यों पहने

सीरियलों के संसार में से लापतागंज के अलावा न आना इस देश मेरी लाडो ही मेरे हिस्से आता है. कारण ये भी हैं कि घर पहुंचने पर इन्हीं का वक्त होता है और ये ऑटोमेटिक रुटीन का हिस्सा बन चले हैं. लाडो तो खैर लाडो है, उसे अम्मा जी के देश में न आने की सख्त ताकीद है. फिर भी कुछ लाडो आ ही जाती हैं. किसी को घर की नौकरानी बनना पड़ता है तो किसी को डाकू. अम्मा जी दांव पर दांव फेंकती रहीं अपनी डाकू बेटी को प्यार के जाल में फंसाने के. आखिर उसे गहने, जेवर, लाड़, प्यार के जाल में फंसाकर पुलिस के हवाले कर दिया.

मुझे सचमुच हंसी आ रही थी. सीरियल तो खैर सीरियल ही है, उसका क्या लेकिन असल जिंदगी में भी तो यही होता है. गहना, जेवर, सुंदरता के कसीदे, अदाएं, नाज, नखरे ये सब स्त्रियों की दुनिया की चीजें बना दी गईं. इसके पहले कि तुम्हारी आंख देखे आसमान तुम्हारी आंख में प्यार का काजल लगा देते हैं. इसके पहले कि उठे गर्दन लो भारी सा हार लटका लो गले में. इसके पहले कि हाथ मजबूती से पकड़ें अपने जीवन की बागडोर उन्हें चूडिय़ों से भर दो, चूडिय़ां भी किसी के नाम की. पायल की रुनझुन में खोई रहो तुम और तुम्हारी चाल पर लगी ही रहे हमारी लगाम. सर से पांव तक गहने ही गहने, वाह क्या कहने? अब तो तुम बहुत कीमती हो, घर में रहो, कोई चुरा न ले जाए तुम्हें. यही तो होता रहा है सदियों से. सो सीरियल में भी डाकू अंबा ने जैसे ही गहने पहने वो फंस गयी जाल में. चूडिय़ों भरे हाथ हथकड़ी से सज गये. उसके मन में उस वक्त यही तो आया होगा कि हाय मैंने गहने क्यों पहने?

गहनों के इस सच को समझना होगा. असल गहना है ज्ञान, समझ, विवेक, हिम्मत, काबिलियत, जिसे कोई बर्दाश्त नहीं कर पाता, क्यों भला?

8 comments:

Jandunia said...

सुंदर पोस्ट

Shekhar Kumawat said...

.अच्छी पोस्ट!

Rangnath Singh said...

गहने अमीरी दिखने के बहाने हैं। मुझे तो यही लगता है।

दिलीप said...

bhaiya ham to sab tv wale keede hain ye baaki ke jhanjhat nahi jhilte

Chandan Kumar Jha said...

जहाँ है सादा जीवन उच्च विचार वहाँ गहनों की क्या आवश्यकता ।

Ashok Kumar pandey said...

मुझे भी गहनों से सख़्त नफ़रत है…ऐसा लगता है कि आप अपना प्रदर्शन कर रहे हैं…जहां इतनी ग़रीबी इतनी भूख है वहां यह प्रदर्शन कितना अश्लील लगता है…

शिखा शुक्ला said...

सदियों से लाडो के ही हिस्से आती रही ये बेड़िया............सुन्दर पोस्ट . अब इन्हे तोड़ने की जरूरत है

swati said...

lag raha hai mere mann ki baat ko kisi ne shabd de diye