Tuesday, December 8, 2009

जब हम प्यार करते हैं

जब हम प्यार करते हैं
तब यह नहीं कि
आकाश अधिक दयालु हो जाता है
या कि सड़कों पर
अधिक खुशी चलने लगती है
बस यही कि कहीं किसी बच्ची को
अपनी छत से उगता सूरज
और पड़ोस की बछिया देखना
अच्छा लगने लगता है
कहीं कोई भीड़ में बुदबुदाते होठों में
प्रार्थना लिए
एक जनाकीर्ण सड़क
सकुशल पार कर जाता है
कहीं कोई शांत मौन जल
कंकड़ से नही, अपने संगीत से
जगाता बैठा रहता है।
जब हम प्यार करते हैं
तो दुनिया को
छोटे-छोटे अंशों में सिद्ध करते हैं
और सुंदर भी, और समृद्ध भी...
हम वसंत को आसानी से काट देते हैं
और उसे एक ऐसे संयोग में गढ़ देते हैंजो
जो न ऋतुगान होता है न टहनियां
और न कोई स्पष्ट आकारन काव्य
और न फूलों, चिडिय़ों का कोई सिलसिला
हम उसे दुनिया के हाथों में फेंक देते है
और दुनिया जब तक उसे देखे-परखे
हम चल देते है
छिप जाते हैंऋतु में या काव्य में
या टहनियों के आकाश में...
अशोक वाजपेयी

7 comments:

jayanti jain said...

great selection , hails to u

rohit said...

Jab ham pyar karte hai to duniya ko chote chote anshoo mein sidh karte hai.

Ashok Ji kavel prem ke hi kavi nahi hai. ve prem ke madhayam se ek nai samagikta ka nirman karte hai.

siddheshwar singh said...

यहाँ आता हूँ और पढ़कर चुपचाप निकल जाता हूँ लेकिन आज कहूँगा कि.. बहुत बढ़िया !

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत सुन्दर रचना प्रस्तुत की है जी!
बधाई!

रंजना said...

WAAH .......... ATISUNDAR !!!

संजय भास्‍कर said...

बहुत ही सुन्‍दर प्रस्‍तुति ।

संजय भास्‍कर said...

behtreeennnnnnn