Friday, October 9, 2009

चे को सलाम!

पिछले दिनों एक चैनल पर विनोद दुआ पुरी की सैर करा रहे थे. रिमोट वहीं रुक गया. पुरी घूमने के लिए नहीं, न ही विनोद दुआ के कारण बल्कि उस बैग के कारण जो विनोद जी के हाथ में था. वह एक मामूली शॉपिंग बैग था. उस मामूली से शॉपिंग बैग पर चे की तस्वीर बनी थी. चे यानी चे ग्वेरा. चे ग्वेरा यानी युवा सोच का चेहरा. विनोद दुआ भी उस शॉपिंग स्टोर में चे ग्वेरा के कारण ही रुके थे. उन्होंने भरे उत्साह से दुकान वाले से पूछा कि ये किसकी तस्वीर है? दुकान वाले ने बताया चे गुवेरा. यह चे की पॉपुलैरिटी है. चे फैशन स्टेटमेंट भर नहीं हैं कि बाइक पर उनकी तस्वीर चस्पा करना, उनकी टी-शर्ट पहनना, कैप लगाना भर काफी हो. वे एक विचार हैं, एक लाइफस्टाइल हैं. वे यूथ आइकॉन हैं. चे यानी युवा, ऊर्जा, नई सोच, तूफानों से टकरा जाने का माद्दा, पहाड़ों का सीना चीर देने का हौसला, आसमान को अपनी मुट्ठी में समेट लेने का जज़्बा और अपनी जान से किसी खिलौने की तरह खेलने की बेफिक्री।

चे ग्वेरा ऐसा युवा चेहरा है जिसका नाम भर रगों में सनसनी भर देता है. कॉलेजों, यूनिवर्सिटियों के कैम्पस चे ग्वेरा के संदेशों से यूं नहीं पटी पड़ी हैं. भले ही कुछ लोग उनके बारे में ज्यादा जानकारी न रखते हों लेकिन अधिकांश युवा चे को अपना आइडियल मानते ही हैं. बावजूद इसके कि वे जानते हैं कि चे होने के जोखि़म भी कम नहीं हैं. क्या था इस युवक में कि यह युवक अपनी मौत के कई सालों बाद भी अतीत नहीं भविष्य के रूप में देखा जाता है. उसका वह ठोस सपाट चेहरा, चौड़ा माथा, और ढेरों सपनों से भरी आंखें. उन आंखों के वही सपने हमारे सपने हैं. युवा पीढ़ी के सपने. 39 वर्ष की उम्र में क्यूबा की क्रांति का यह महान नायक साम्राज्यवादियों का शिकार हुआ और 9 अक्टूबर 1967 को. लेकिन मारने वालों को कहां पता था कि ऐसे लोगों को मारना आसान नहीं होता. वे देह को मार सकते थे सो मार दिया लेकिन चे एक विचार था, एक तरीका था जीने का जो पूरी दुनिया में बिखर गया. कुछ इस कदर कि युवा का अर्थ ही चे होना मान लिया जाने लगा।

विद्वानों का कहना है कि चे शब्द अर्जेंटाइना वालों ने गौरानी इंडियनों से सीखा है, जिसका तात्पर्य होता है, मेरा. लेकिन पांपास के निवासी चे शब्द का उपयोग संपूर्ण मानवीय भावनाओं-मसलन आश्चर्य, प्रमोद, दुख, कोमलता, स्वीकृति और प्रतिरोध को व्यक्त करने के लिए लय और संदर्भ के अनुसार कर सकते हैं. इस विस्मयकारी शब्द से इतना स्नेह होने के कारण ही क्यूबा के विद्रोहियों ने डॉन अर्नेस्टो के बेटे अर्नेस्टो ग्वेरा को चे का उपनाम दिया जो युद्ध के दौरान उसका छद्म नाम बन गया और उनके नाम के साथ पक्के तौर से जुड़ गया. क्यूबा और पूरी दुनिया में वह अर्नेस्टो चे ग्वेरा के नाम से प्रसिद्ध हुए. क्रांति के नायक के जीवन में प्रेम जैसी नाजुक भावना ने भी अलग ही अंदा$ज में दस्तक दी।

चे को चिनचीना नामक लड़की से अगाध प्रेम था. चिनचीना बेहद खूबसूरत और नाजुक लड़की थी. वह सभ्य, सुसंस्कृत सामंती परवरिश में पली थी. जबकि चे को हमेशा अपने पुराने फटे कोट और खस्ताहाल जूतों से रश्क रहा. उसने एक दिन चिनचीना से कहा कि वह अपने पिता का घर छोड़ दे, धन-दौलत के बारे में भूल जाए और उसके साथ वेनेजुएला चले, जहां वह अपने मित्र अल्बर्टो ग्रैनडास के साथ कोढिय़ों की बस्ती में रहकर उनकी सेवा करेगा. चिनचीना एक सामान्य लड़की थी और उसका प्यार भी सामान्य ही था. वह इस प्रस्ताव को मान नहीं सकी।

चे को कविताओं से बहुत प्यार था. वह बादलेयर, गार्सिया लोर्का और एंतोनियो मचाडो की कृतियों का अच्छा जानकार था. पाब्लो नेरूदा की कविताओं से बेपनाह मोहब्बत थी. उसे पाब्लो की बहुत सारी कविताएं जबानी याद थीं. उसने खुद भी कविता लिखने की कोशश की लेकिन माना खुद को असफल कवि ही. चे का छोटा सा जीवन बेहद रोमांचक था. हर युवा दिल के साथ चे के विचार भी धड़क रहे हैं. यही होता है सचमुच जीना. चे को सलाम!
- प्रतिभा कटियार

24 comments:

Vipin Behari Goyal said...

चे को सलाम और आपको भी.इतनी महत्वपूर्ण जानकारी,इतने सरल अंदाज़ में .हम तो इस शेली के कायल हैं.बधाई.

दिनेशराय द्विवेदी said...

चे को सलाम! वह सतत क्रांतिकारी था। वरना कौन अपनी क्रांति की मंजिल फतह कर लेने पर पड़ौसी की मदद करने जाता है।

गिरिजेश राव, Girijesh Rao said...

चिनचिन की अच्छी कही।
हो ही नहीं सकता कि कोई पूरे पौरुष के साथ तन कर आसमाँ और धरा दोनों से टकराने के लिए खड़ा हो और उसकी ओर चाहत भरी नजरें न हों !
बेचारे को पारखी नजर नहीं मिली।

चे की याद दिलाने के लिए धन्यवाद। 'बोलिविया की डायरी' पढ़ने के बाद तो मैं . . .

वैसे मुझे 39 वर्षों में गुजरे अपने भारतीय नायक विवेकानन्द अधिक भाते हैं।

कुश said...

चे तो अपने भी आइडियल है.. क्यों है ये तो पता नहीं..

Chandan Kumar Jha said...

चे ग्वेरा बारे में जानना सुखकर रहा ।

सतीश पंचम said...

वह कडी मैंने भी देखी थी जब दुकानवाला चे को हिस्ट्रीशीटर बता रहा था।

वैसे, जायका इंडिया का और Highway on My plate मेरे पसंदीदा कार्यक्रमों में से हैं।

चे के बारे में जानकारी अच्छी मिली।

रवि कुमार, रावतभाटा said...

क्या खूब जिक्र निकाला है आपने...
आपके सरोकारों को सलाम...

मुनीश ( munish ) said...

There is a famous film based on his travel accounts 'Motorcycle Diaries'. Those who don't want to see India on motorcycle should stay away from discussing him. Motorcycle was central to his persona and in India ppl dont know it.

गिरिजेश राव, Girijesh Rao said...

मोटरसाइकिल, हमें चलानी नहीं आती और न ही आकर्षित करती है तो क्या 'चे' की चर्चा न करें?
उसने अपनी वसीयत में ऐसा लिखा था क्या ?
क्रांति के लिए मोटरसाइकिल आवश्यक है, ऐसा मुझे नहीं लगता।

Abhishek Ojha said...

मोटरसाइकिल डायरी हमने भी देखी है और पिछले साल आई दो भागों में बनी फिल्म भी. (इन दो भागों वालों में मोटर साइकिल नहीं थी. )
@MunishJi:
"Those who don't want to see India on motorcycle should stay away from discussing him."
I don't want to see India on motorcycle but I discuss about him a lot ! In my view his persona was much more bigger than just a motorcycle... It was not the motorcycle which changed a 'to be a doctor' into a revolutionary. It was the travels and the things he saw while travelling !

और प्रतिभाजी आपने सही कहा है ऐसे लोग मरते कहाँ है उन्हें मारने वालों के देश से ही मैं चे की टी शर्ट ले के आया !

मुनीश ( munish ) said...

@Girijesh and Abhishek ---What i mean is spirit of 'extensive travelling'far and wide . Unless ppl. travel and see their country with own eyes how can they understand it ? Motorcycle is only an extension of one's desire to explore , it can be a bi-cycle also . Then there are places where no vehicle can reach so one has to be on foot only. Motorcycle is a metaphor for the seeker , for the lover of nature and its people. Most of the people discussing Che' can't run half a mile at a stretch and they claim to 'inspired' . !

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

हमारा भी इस "चे" को सलाम!

rohit said...

Che is the sign of different charr]acteristics. movement on bike is not the matter of criticism. this activity shows freedom from care which is the characteristic of Che.

Rohit Kaushik

rohit said...

Che is the sign of different charr]acteristics. movement on bike is not the matter of criticism. this activity shows freedom from care which is the characteristic of Che.

Rohit Kaushik

KK Mishra of Manhan said...

I read to Che Guevara in my childhood, really great inspiration for youths, nice discription about the great man

anurag said...

che ko hamara bhi salam

Anonymous said...

सार्थक लेखन हेतु बधाई ................

Himalayi Dharohar said...

सार्थक लेखन हेतु बधाई ................

issbaar said...

"khub..., bahut khub........,"
mujhe lagta hai yah kafi nahi phir bhi, hamari chetna ko gati dene ke liye aapko sal....aam

Unknown said...

che ko salaam

चंदन कुमार मिश्र said...

कुछ लोग टीशर्टों में क्रान्ति खोजते हैं…चे बनना क्यों नहीं चाहते?…अपना आइडियल कहकर वातानुकूलित कमरों में लिखनेवाले कम नहीं है…विवेकानन्द और चे में तो विवेकानन्द का योगदान कुछ नहीं है…हम तो चे को स्वीकारते हैं भाई…

जगदीश सौरभ said...

मैं अभी चे को पढ़ रहा हूँ, समझ रहा हूँ । बहुत ही रोमांचक व्यक्तित्व ।

शंकर प्रसाद तिवारी (विनय) said...

che gwera ki sadev mera salam..aise bahadur duniya mai kabhi kabhi hi paida hote hai

Aryesh Mishra said...

विवेकानंद और चे दो विपरीत धुरी पर खड़े लोग हैं ,चे घोर नास्तिक , सामाजवादी और विवेकानंद धर्मप्रचारक