Tuesday, September 29, 2009

यही है सादगी- पाब्लो नेरुदा

खामोशी है ताकत
मुझे बताते हैं पेड़
और गहराई
मुझे बताती हैं जड़ें
और शुद्धता मुझे बताता है आटा।

किसी पेड़ ने नहीं कहा मुझसे
कि मैं सबसे ऊंचा हूं
किसी जड़ ने भी नहीं कहा मुझसे
कि मैं आती हूं
सबसे अधिक गहराई से
और कभी नहीं कहा
रोटी ने
कि कुछ भी नहीं है
रोटी जैसा।
- पाब्लो नेरूदा

12 comments:

ओम आर्य said...

बेहद खुबसूरत रचना...........बहुत बहुत बधाई!

के सी said...

कि कुछ भी नहीं है रोटी जैसा ...
बहुत सुंदर

दिनेशराय द्विवेदी said...

बहुत सहज और गहरी कविता है, यही तो पाब्लो की खूबी है।

Mithilesh dubey said...

बेहद खुबसूरत रचना........

इष्ट देव सांकृत्यायन said...

उत्तम रचना.

rashmi ravija said...

बहुत ही सुन्दर रचना है.....सादगी से भरपूर

सुशील छौक्कर said...

पाब्लो जी की बेहतरीन प्यारी रचना पढवाने के लिए शुक्रिया।

प्रज्ञा पांडेय said...

बहुत सादी और सीधी कविता ..

शरद कोकास said...

नेरूदा की यह कविता खामोशी की ताकत को बयान करती है ।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

इस अनूठी कल्पना के लिए बधाई!

अनूप शुक्ल said...

सुन्दर !

rohit said...

khokhle aadarshwad se bahut door hai ye kavita.Insan es kavita jaisa kyo nahi ho sakta.

Rohit Kaushik