Saturday, September 19, 2009

बीहड़ रास्तों का सफर- मार्क्स

आओ
बीहड़ और कठिन
सुदूर यात्रा पर चलें
आओ ,
क्योंकि छिछला
निरुद्देश्य जीवन
हमें स्वीकार नहीं।
हम ऊंघते,
कलम घिसते हुए
उत्पीडऩ और लाचारी
में नहीं जियेंगे।
हम
आकांक्षा, आक्रोश, आवेग
और अभिमान से जियेंगे
असली इनसान की तरह।
- कार्ल मार्क्स

7 comments:

दिनेशराय द्विवेदी said...

जीवन की प्रेरणा का स्रोत!

Kajal Kumar said...

सतत सुंदर प्रण.

प्रमोद ताम्बट said...

साम्यवाद के पितामह की कविता सामने लाने के लिए साधुवाद.

प्रमोद ताम्बट
भोपाल
www.vyangya.blog.co.in

लोकेन्द्र विक्रम सिंह said...

जीवन की अमूल्य प्रेरणा को हमारे सामने प्रस्तुत करने के लिए धन्यवाद..............

निर्मला कपिला said...

जीवन की सार्थक प्रेरणा धन्यवाद्

Kusum Thakur said...

इस प्रेरणापूर्ण रचना के लिए धन्यवाद .

सुशीला पुरी said...

thanx.........for this lines