Tuesday, August 26, 2008

जो तुमसे चाहता है मन

तुम्हारे साथ हँसना
तुम्हारे साथ रोना
तुम्हारे साथ रहना
तुम्हारे साथ सोना....
न जाने कितनी बातें हैं
जो तुमसे चाहता है मन

तुम्हीं से बात करना
तुम्हीं से रूठ जाना
तुम्हारे साथ जग से जूझना भी
तुम्हे दुनिया से लेकर भाग जाना 
सजल मासूम आँखे चूम लेना
तुम्हारी रात के सपने सजाना 
तुम्हें हर बात में आदेश देना
तुम्हारी चाह को माथे लगना
न जाने कितनी बातें है
जो तुमसे चाहता है मन

विकट अनजान राहों में
तुम्हारा हाथ पाना
तुम्हारे मान का सम्मान करना
अडिग विश्वास से नाता निभाना
तुम्हारे रूप गुन की दाद देना
तुम्हारे शील को साथी बनाना
न जाने कितनी बातें हैं
जो तुमसे चाहता है मन

तुम्ही से ओज पाना
तुम्हारी धार को भी शान देना
तुम्हारे आसुओं के मोल बिकना
की अपनी आन पर भी जान देना
कभी चुपके, कभी खुल के
तुम्ही को चाह लेना
तुम्ही में डूब जाना
अटल गहराइयों की थाह लेना
न जाने कितनी बातें हैं
जो तुमसे चाहता है मन।

- दिनेश कुशवाहा 

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